जुमेरात...


28 जनवरी, 2016... जुमेरात का दिन, एक यादगार दिन था... कभी न भूलने वाला दिन... मुहब्बत की शिद्दत से सराबोर दिन, इबादत से लबरेज़ दिन, एक रूहानी दिन... दिल चाह रहा था कि वक़्त बस यहीं थम जाए और इसी वक़्त में पूरी ज़िन्दगी बीत जाए...
इतना सुकून कि कोई तसव्वुर तक न कर सके... इतनी रूहानियत कि बड़े से बड़ा काफ़िर भी कलमा पढ़ ले...
ये जुमेरात बरसों याद रहेगी... जुमेरात का दिन औलियाओं की ज़ियारत का दिन... इबादत ख़ाने में बैठकर इबादत करने का दिन... मन्नतें मानने का दिन... उन्होंने हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की ज़ियारत की, चादर चढ़ाई और अपनी अक़ीदत के फूल पेश किए...
अल्लाह हमेशा उनका निगेहबान रहे और दोनों जहां में उन्हें कामयाब करे, आमीन...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)
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