होंठों पे मुहब्बत के तराने नहीं आते
जो बीत गए फिर वो ज़माने नहीं आते
हल कोई जुदाई का निकालो मेरे हमदम
अब ख़्वाब भी नींदों में सताने नहीं आते
बादल तो गरजते हैं, मगर ये भी हक़ीक़त
आंगन में घटा बनके वो छाने नहीं आते
क़दमों में बहारें तो बहुत रहती हैं लेकिन
'फ़िरदौस' को ये रास ख़ज़ाने नहीं आते
-फ़िरदौस ख़ान
16 सितंबर 2015 को 8:02 pm बजे
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 17-09-2015 को चर्चा मंच के अंक चर्चा - 2101
में की जाएगी
धन्यवाद
16 सितंबर 2015 को 10:44 pm बजे
>> जो बीत गए वो जमाने नहीं आते..,
आते हैं नए लोग पुराने नहीं आते
लकड़ी के मकानों में चरागों को न रखना
अब पड़ोसी भी आग बुझाने नहीं आते
------ ॥ अज्ञात ॥ -----
17 सितंबर 2015 को 11:14 am बजे
अच्छी प्रस्तुति......सुन्दर
18 सितंबर 2015 को 9:47 am बजे
वाह !