तुम्हारी मुहब्बत के फूल...


मेरे महबूब...
उम्र की रहगुज़र में 
हर क़दम पर मिले 
तुम्हारी मुहब्बत के फूल...
अहसास की शिद्दत से दहकते 
जैसे सुर्ख़ गुलाब के फूल...

उम्र की तपती दोपहरी में 
घनी ठंडी छांव से 
जैसे पीले अमलतास के फूल...

आंखों में इन्द्रधनुषी सपने संजोये
गोरी हथेलियों पर सजे 
जैसे ख़ुशरंग मेहंदी के फूल...  

दूधिया चांदनी रात में 
ख़्वाहिशों के बिस्तर पर बिछे 
जैसे महकते बेला के फूल...

मेरे महबूब 
मुझे हर क़दम पर मिले 
तुम्हारी मुहब्बत के फूल...
-फ़िरदौस ख़ान  

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टेडी बियर

ज़िन्दगी में ऐसे मुक़ाम भी आया करते हैं, जब इंसान बहुत अकेला होता है... इतना अकेला कि उसे दूर-दूर तक कोई ऐसा दिखाई नहीं देता, जिससे पल दो पल वो अपने दिल की बात कर सके, जिसे बता सके कि वो कितना अकेला है... उसके पास कोई ऐसा नहीं होता, जिसे वो अपना कह सके... ऐसी हालत में कई बेजान चीज़ें अकेलेपन का सहारा बन जाया करती हैं, भले ही वह टेडी बियर जैसा कोई खिलौना ही क्यों न हो...

बहुत साल पहले की बात है. हमारे छोटे भाई ने हमारी सालगिरह पर तोहफ़े में हमें एक टेडी बियर दिया... हमें वह बहुत अच्छा लगा... हालत ये थी कि हम उसे बैग में रखते... यानी हम जिस शहर भी जाते, वह टेडी बियर हमारे साथ जाता...

जब घर से दूर होते, अकेले होते, उदास होते, तो वह टेडी बियर हमारा साथी होता... अम्मी ने कहा कि ये क्या बचपना है... हमने उसे अपनी अलमारी में रख दिया... जब मालूम हुआ कि आज टेडी डे है, तो न जाने क्यों उस टेडी बियर की बहुत याद आ रही है... वह बियर हमसे दूर है... इंशा अल्लाह इस बार उसे साथ लेकर आएंगे...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)

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