तुम्हारी मुहब्बत के फूल...
मेरे महबूब...
उम्र की रहगुज़र में
हर क़दम पर मिले
तुम्हारी मुहब्बत के फूल...
अहसास की शिद्दत से दहकते
जैसे सुर्ख़ गुलाब के फूल...
उम्र की तपती दोपहरी में
घनी ठंडी छांव से
जैसे पीले अमलतास के फूल...
आंखों में इन्द्रधनुषी सपने संजोये
गोरी हथेलियों पर सजे
जैसे ख़ुशरंग मेहंदी के फूल...
दूधिया चांदनी रात में
ख़्वाहिशों के बिस्तर पर बिछे
जैसे महकते बेला के फूल...
मेरे महबूब
मुझे हर क़दम पर मिले
तुम्हारी मुहब्बत के फूल...
-फ़िरदौस ख़ान
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