हमारी एक कहानी से लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
हमारी एक कहानी से लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

यक़ीन...


यक़ीन एक ऐसी चीज़ है, अगर डाकू पर कर लिया जाए, तो वो भी मुहाफ़िज़ नज़र आता है... और यक़ीन न हो, तो मुहाफ़िज़ पर भी शुबा होता है...
बच्चे को हवा में उछालो, तो वो चीख़ने-चिल्लाने की बजाय खिलखिलाकर हंसता है, क्योंकि उसे यक़ीन होता है कि उसे उछालने वाला उसे गिरने नहीं देगा, उसे थाम लेगा...
इंसान की बातें यक़ीन पैदा करती हैं, और यक़ीन को ख़त्म भी कर देती हैं... किसी के दिल में अपने लिए यक़ीन पैदा करना बड़ी बात है...
(हमारी एक कहानी से)

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

मुहब्बत


लड़की और उसकी सहेली की बातचीत...
सहेली : तुम अपने महबूब से कितनी मुहब्बत करती हो?
लड़की : नहीं जानती.
सहेली : तुम अपने महबूब को क्या दे सकती हो?
लड़की : अगर मुझे जन्नत मिले, तो अपने हिस्से की जन्नत उन्हें दे दूं...
सहेली : जन्नत दे दी, तो फिर क्या तुम जहन्नुम में रहोगी?
लड़की : वो जहन्नुम भी मेरे लिए जन्नत से कम न होगी... मुझे ये अहसास तो होगा कि मेरा महबूब जन्नत में है और वो महफ़ूज़ है... मैं बस उनकी सलामती चाहती हूं...



लड़की कहती है- मैं नहीं जानती कि मेरी क़िस्मत में उसका साथ लिखा भी है या नहीं... सिर्फ़ एक बात जानती हूं कि मैं जहां भी रहूं, जिस हाल में भी रहूं... वो हमेशा मेरे दिल में रहेगा...



  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

मुहब्बत...


  • एक औरत आख़िर मर्द से चाहती क्या है... क्या सिर्फ़ एक छत, दो वक़्त का खाना और चार जोड़ी कपड़े... जो एक छत, दो वक़्त का खाना और चार जोड़ी कपड़े देता है, वो मुहब्बत नहीं देता... और जो मुहब्बत करता है, वो घर नहीं दे सकता...
  • मुहब्बत का ख़ूबसूरती से कोई ताल्लुक़ नहीं है... अगर ऐसा होता, तो वो लोग मुहब्बत से महरूम रह जाते, जो ज़्यादा ख़ूबसूरत नहीं हैं...
  • क्यूं इंसान किसी को इतनी शिद्दत से चाहता है कि उसके बग़ैर अपना ही वजूद पराया लगने लगता है...
  • जो लोग औरत को ’सामान’ समझते हैं, वो औरत की मुहब्बत से महरूम रह जाते हैं... क्योंकि दुनिया की कोई भी औरत किसी भी ऐसे शख़्स से मुहब्बत नहीं कर सकती, जो उसे ’इंसान’ नहीं, ’सामान’ समझता हो...
  • मुहब्बत उसी को मिलती है, जो मुहब्बत के क़ाबिल होता है...
  • मुहब्बत में लोग बादशाहत ठोकर मार दिया करते हैं और महबूब की ग़ुलामी क़ुबूल कर लेते हैं...
  • कुछ क़र्ज़ ऐसे हुआ करते हैं, जिसे इंसान कभी नहीं चुका सकता, जैसे रफ़ाक़त का क़र्ज़...
  • उसके बिना हर मौसम उदास लगता है...उन दमकती आंखों की ये मेहर क्या कम है कि उन्होंने ख़ुश रहने की वजह दी है...
  • कुछ लोग घरों में रहा करते हैं, और कुछ दिलों में, जैसे तुम...
  • वो मेरी ज़िन्दगी का हासिल है, जो नज़रों से दूर है, पर दिल के क़रीब है...
  • (हमारी एक कहानी से)

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

लड़की सोचती है...


  • लड़की सोचती है, क्या वो सच में मुझसे मुहब्बत करता है... क्योंकि जब साथ देने की बारी आती है, तो वो किसी दूसरी लड़की का साथ देता है. दूसरी लड़की के लिए सबकुछ करता है, उसे घरबार देता है, उसे अपने साथ अपनी हिफ़ाज़त में रखता है, उसे हर वो ख़ुशी देता है, जो किसी का ख़्वाब हो सकती है... लेकिन जिसे वो अपनी मुहब्बत कहता है, उसे ज़ालिम दुनिया के भरोसे बेसहारा छोड़ देता है... यह जानते हुए कि उसके अलावा लड़की का और कोई नहीं है... वो उस लड़की के लिए कुल कायनात है...
  • जिसके पास घरबार है... यानी जिसके पास शरीके-हयात है , बच्चे हैं, घर है, उसके पास सबकुछ है...वो दुनिया का ख़ुशनसीब इंसान है...
  • ख़ुशियां सबके नसीब में नहीं हुआ करतीं... कुछ लोग ऐसे भी हुआ करते हैं, जो एक ख़ुशी तक को तरस जाते हैं...
घर बनाम क़ब्र... 
लड़की हमेशा घर का ख़्वाब देखती थी... अपने घर का ख़्वाब, जिसे वो ख़ूब सजाए-संवारे... आख़िर उसका ख़्वाब पूरा हुआ, उसे घर मिल गया... लेकिन अपना घर देखने के लिए वो ज़िन्दा न थी... क्योंकि ये घर उसे उसकी मौत के बाद मिला, क़ब्र के रूप में...

***
कितने ही लोग ऐसे हैं, जिनकी ज़िन्दगी तन्हा गुज़र जाती है... उन्हें कभी कोई अपना नहीं मिलता... कभी मिलता भी है, तो पता चलता है कि उस पर भी किसी और का हक़ है... या कोई और उसे छीन कर ले जाता है...


  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

बारिश की उदासी...


रात से बारिश हो रही है... लड़की को बारिश का मौसम हमेशा से अच्छा लगता है, लेकिन आज न जाने क्यों वह उदास है... कुछ बरस पहले जब जाड़ों के आख़िर में बारिश हुई थी, तब वो साथ था... दोनों साथ-साथ चल रहे थे... आसमान में काली घटा छाई हुई थी, बिल्कुल सावन की तरह... वो बहुत कम बात करते थे, शायद इसलिए कि वो बिना कहे ही एक-दूसरे के दिल की बात जान लिया करते थे... अचानक बारिश होने लगती है... वो भीग जाते हैं...  जाड़े में भीगने की वजह से लड़की को बुख़ार आ जाता है... बाद में लड़के का दोस्त बताता है कि लड़का भी बुख़ार से तप रहा है... लड़की सोचती है कि अगर वो उसके पास होती, तो उसे अदरक वाली चाय बनाकर पिलाती... उसके माथे और सीने पर विक्स लगाती...  लेकिन वो उसके पास नहीं है...
आज भी बारिश हो रही है... ठंडी हवाएं चल रही हैं... लेकिन वो परदेस में है... शायद यही सोचकर लड़की उदास है...
(हमारी एक कहानी से)
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

एक तसव्वुर... एक अहसास...


  • कितना खु़शनुमा अहसास है... मेरी रूह जिस्म की क़ैद से आज़ाद हो चुकी है... अब न कोई बंधन है और न ही कोई दुख-तकलीफ़... सबकुछ कितना भला लग रहा है... मैं समंदर पर दौड़ सकती हूं... ज़मीन की तह में उतर सकती हूं और आसमान की बुलंदियों को छू सकती हूं... पर मैं तन्हा हूं... तन्हा... तन्हा तो मैं पहले भी थी... वो भीड़ की तन्हाई थी और ये अकेले होने की तन्हाई है... पर मैं ख़ुश हूं... 
  • इंसान ज़िंदगी में बहुत थोड़ा चाहता है... लेकिन उसे बहुत थोड़ा नहीं मिलता, जो वह चाहता है... फिर वह बहुत ज़्यादा चाहने लगता है और उसे बहुत ज़्यादा मिल भी जाता है... लेकिन बहुत थोड़े की कमी उसे ज़िंदगी भर खलती है...
  • मुसीबत के वक़्त तो ख़ुदा भी साथ छोड़ देता है... फिर इंसानों से कोई क्या शिकवा-शिकायत करे... 
  • जिस शख़्स की सारी ज़िन्दगी क़ुदरती आज़माइश में ही बीत जाए... अपनी ज़िन्दगी के अज़ाब होने पर वह भला किससे शिकवा-शिकायत करे...
  • हर इंसान की अपनी-अपनी मजबूरियां हुआ करती हैं... इंसान को उम्रभर इन्हीं मजबूरियों के साथ रहना होता है... यही तो ज़िंदगी है... 
  • ज़िन्दगी भी अजीब शय है... अकसर खु़शियों की तमन्ना में ही बीत जाती है... 
  • ज़िन्दगी में जिसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हुआ करती है, वही सबसे ज़्यादा दूर होता है...
  • ख़ुशियां सबको रास नहीं आया करतीं... 
  • सबसे आसान होता है, बिन बताए किसी की ज़िन्दगी से यूं चले जाना...
  • जो अपने होते हैं, वो छोड़ कर कभी नहीं जाया करते...
  • अपने ही सबसे ज़्यादा तकलीफ़ पहुंचाते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि हम कितने टूटे हुए हैं और उनकी एक ही चोट से ज़र्रा ज़रा होकर बिखर जाएंगे...
  • उम्र अकसर अच्छे वक़्तों की तमन्ना में ही बीत जाया करती है... 
(हमारी एक कहानी से)


  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

लाहासिल ख़्वाहिशात...


रात आधी से ज़्यादा बीत चुकी है... लड़की अब भी जाग रही है... नींद उसकी आंखों से कोसो दूर है... माहौल में चम्पा के फूलों की महक है... हवा के झोंको से हिलती चमेली की टहनियां अपनी मौजूदगी का अहसास करा रही हैं... आसमान में आधा चांद चमक रहा है... या यूं कहें कि अधूरा चांद, जो रफ़्ता-रफ़्ता एक सिम्त से दूसरी सिम्त सरक रहा है... वो सोचती है, चांद तो कुछ रोज़ बाद मुकम्मल हो जाएगा, लेकिन ज़िन्दगी का क्या, उसकी हसरतों का क्या, जो आज तक नामुकम्मल हैं... और उसकी लाहासिल ख़्वाहिशात...
(हमारी एक कहानी से)


तस्वीर : गूगल से साभार


  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

वक़्त...


-फ़िरदौस ख़ान
हर चीज़ की अहमियत वक़्त पर ही हुआ करती है... वक़्त निकल जाने पर आबे-हयात भी आबे-हयात नहीं रह जाता... उस दूध की क्या अहमियत, जो बच्चे के भूख से बिलख-बिलख कर मर जाने के बाद मिले... उस दवा की क्या अहमियत, जो मरीज़ की मौत के बाद मिले... उस इंसाफ़ की क्या अहमियत जो, किसी को सूली पर चढ़ा दिए जाने के बाद मिले... उस पछतावे की क्या अहमियत, जो किसी की ज़िन्दगी तबाह और बर्बाद करने के बाद हो...
क़ुदरत ने हर चीज़ का वक़्त मुक़र्रर किया है... सूरज निकलने का अपना वक़्त है... रात आने का अपना वक़्त है... मौसम भी अपने-अपने वक़्त पर आया करते हैं... लेकिन अज़ाब से निजात का कोई वक़्त नहीं है... सारी उम्र अज़ाब में ही गुज़र गई...

(हमारी एक कहानी से)

तस्वीर : गूगल से साभार
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS