वो चाहता है...मैं कोई गीत लिखूं


ज़िन्दगी का मौसम कभी एक जैसा नहीं रहता...पल-पल बदलता रहता है..फ़र्क बस इतना है कि कुछ लोगों की ज़िन्दगी में बहार का मौसम देर तक ठहरता है और उनके दामन को खुशियों से सराबोर कर देता है...लेकिन बहुत-से ऐसे लोग भी होते हैं, जिनकी ज़िन्दगी में बहार कभी आती ही नहीं... या यूं कहिये कि उनकी ज़िन्दगी में खिज़ा का मौसम आता है और फिर हमेशा के लिए ही ठहर जाता है...अलबत्ता, खिज़ा का भी अपना ही लुत्फ़ होता है...हमने अपनी एक नज़्म में खिज़ा के मौसम की ख़ूबसूरती को पेश किया था...बहरहाल आज हम एक फ़रमाइश पर अपनी एक पुरानी नज़्म पोस्ट कर रहे हैं...इस वादे के साथ के जल्द ही एक ताज़ा नज़्म पोस्ट करेंगे...

नज़्म
वो चाहता है
मैं कोई गीत लिखूं
मुहब्बत के मौसम का...

लेकिन
उसको कैसे बताऊं
क़ातिबे-तक़दीर ने
मेरे मुक़द्दर में
लिख डाली है
उम्रभर की खिज़ा...
-फ़िरदौस ख़ान
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