अपना घर...


बहुत कम ही ऐसी लड़कियां होती हैं, जिनका अपना घर होता है... जहां वे जन्म लेती हैं, वो उनके पिता का घर होता है... और शादी के बाद पति का घर... लेकिन इन दोनों ही घरों में उनका अपना कुछ नहीं होता... वे तो अपनी मर्ज़ी से अपने लिए एक कमरा भी नहीं चुन सकतीं... पिता के घर में यह हक़ भाइयों को ही मिलता है... वे अपनी मर्ज़ी से अपनी पसंद का कमरा चुनते हैं... दलील होती है कि उनकी बीवी आएगी, तो इसी कमरे में रहेगी... लड़की को तो एक न एक दिन ससुराल चले जाना ही है... फिर शादी के बाद उन्हें उसी कमरे में रहना होता है, जो उनके पति को मिला होता है... यहां भी उन्हें अपनी मर्ज़ी से कोई कमरा चुनने का हक़ नहीं मिलता...

लेकिन जो लड़कियां काम करती हैं... अपनी मेहनत के पैसों से एक घर ख़रीदती हैं, भले ही वह ज़्यादा बड़ा न हो... वही उनका अपना घर होता है... इस घर की एक-एक चीज़ पर उनका अपना हक़ होता है... वे दीवारों पर अपनी पसंद का रंग करा सकती हैं... दरवाज़ों और खिड़कियों पर अपनी मर्ज़ी के रं-बिरंगे पर्दे लगा सकती हैं... फ़र्श पर अपनी पसंद की चांदनी बिछा सकती हैं... मेज़ पर अपनी पसंद के फूल सजा सकती हैं... गमलों में अपनी पसंद से बेला, चमेली या गुलाब उगा सकती हैं... यानी अपनी मर्ज़ी से अपना घर सजा सकती हैं...
सच ! कितना प्यारा होता है अपना घर... काश ! हर लड़की को मिल सकता उसका अपना घर..
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2 Response to "अपना घर..."

  1. कालीपद "प्रसाद" says:
    5 जनवरी 2014 को 12:26 pm बजे

    हिन्दुस्तान में शादी के बाद पति और पत्नी का अलग अलग कुछ नहीं होता है ,जो होता है दोनों का होता है और घर का कमान तो पत्नी के हाथ में होता है | अवश्य यह अपना अपना नजरिया है !
    नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |

    नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
    नई पोस्ट विचित्र प्रकृति

  2. Neetu Singhal says:
    5 जनवरी 2014 को 4:00 pm बजे

    हमारी भौजियां भी तो किसी की बेटियां ही हैँ.....

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