नज़्म
गर्मियों का मौसम भी
बिलकुल
ज़िन्दगी के मौसम-सा लगता है...
भटकते बंजारे-से
दहकते आवारा दिन
और
विरह में तड़पती जोगन-सी
सुलगती लंबी रातें...
काश!
कभी ज़िन्दगी के आंगन में
आकर ठहर जाए
बरसात का मौसम... -फ़िरदौस ख़ान
आंधियों का मौसम शुरू हो चुका है. हमें आंधियां बहुत पसंद हैं. हमें आंधियों से निस्बत है. ये इस बात की अलामत हैं कि हमारा पसंदीदा माह यानी माहे-जून आने वाला है. माहे-जून में गर्मी अपने शबाब पर हुआ करती है. आलम ये कि दिन के पहले पहर से ही लू चलने लगती है. गरम हवाओं की वजह से सड़कें भी सुनसान हो जाती हैं. धूल भरी आंधियां भी ऐसे चलती हैं, मानो सबकुछ उड़ा कर ले जाना चाहती हैं. दहकती दोपहरें भी अलसाई-सी लगती हैं. बचपन में इस मौसम में दिल नहीं लगता था. दादी जान कहा करती थीं कि ये हवायें मन को अपने साथ बहा ले जाती हैं. इसलिए मन उड़ा-उड़ा रहता है. और कहीं भी मन नहीं लगता. तब से दादी जान की बात मान ली कि इस मौसम में ऐसा ही होता है. फिर भी हमें जून बहुत अच्छा लगता है. इस मौसम से मुहब्बत हो गई. दहकती दोपहरें, गरम हवायें, धूल भरी आंधियां. और किसी की राह तकती एक वीरान सड़क. वाक़ई, सबकुछ बहुत अच्छा लगता है. बहुत ही अच्छा. जैसे इस मौसम से जनमों-जनमों का नाता हो. एक ख़ास बात यह है कि जून की शुरुआत ही हमारी सालगिरह यानी एक जून से होती है. अम्मी की सालगिरह भी 27 जून को है, पर एक अगस्त को उनका साथ छूट गया. लेकिन वो हममें हमेशा ज़िन्दा रहेंगी. और फिर उनकी सालगिरह भी तो इसी माह में है, जिनके क़दमों में हम अपनी अक़ीदत के फूल चढ़ाते हैं.
शायरा, लेखिका और पत्रकार. लोग लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी कहते हैं.
उर्दू, हिन्दी, इंग्लिश और पंजाबी में लेखन. दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं. अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं का सम्पादन किया. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर कार्यक्रमों का प्रसारण. ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनल के लिए एंकरिंग भी की है. देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लेखन. फ़हम अल क़ुरआन लिखा. सूफ़ीवाद पर 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' नामक एक किताब प्रकाशित. इसके अलावा डिस्कवरी चैनल सहित अन्य टेलीविज़न चैनलों के लिए स्क्रिप्ट लेखन. उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए अनेक पुरस्कारों ने सम्मानित. इसके अलावा कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी शिरकत की. कई बरसों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम ली. फ़िलहाल 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' में समूह संपादक हैं.
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फ़िरदौस ख़ान
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