वक़्त किसी को मोहलत नहीं देता


हमें अम्मी से बहुत सी बातें करनी थीं, लेकिन मौत ने मोहलत नहीं दी. और ये वक़्त किसी के लिए नहीं ठहरता. इसलिए हम सबसे बात करते हैं. कल किसने देखा है. जो कुछ है, बस आज ही है, इसी वक़्त है. वक़्त रेत की मानिन्द ज़र्रा-ज़र्रा मुट्ठी से फिसल रहा है.
इसलिए कल के लिए कुछ नहीं टालते.
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