यादें


वाक़ई ये यादें ही तो हैं, जो तपती धूप में घने दरख़्त का साया हैं, तो जाड़ों में गुनगुनी धूप का अहसास देती हैं. ज़िन्दगी की भूल-भूलय्या में रौशनी बनकर बिखर जाती हैं, तो कभी सावन की फुहारें बनकर तन-मन को भिगो देती हैं.
फ़िरदौस ख़ान
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