तुम


मेरे महबूब !
तुम हवाओं में होते हो 
तो आसमान की बुलंदियों को
छू लेते हो...
तुम ज़मीन पर होते हो
तो कुशादा तवील रास्तों से 
गुज़र जाते हो...
और 
तुम समन्दर में होते हो
तो उसकी गहराइयों में 
उतर जाते हो
जैसे दिल की गहराई में 
उतर जाते हो, उसमें बस जाते हो...
-फ़िरदौस ख़ान  
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