नमाज़


मेरे महबूब !
तुम फ़ज्र की ठंडक हो 
इशराक़ की सुर्ख़ी हो 
चाश्त का रौशन सूरज हो
ज़ुहर की खिली धूप हो 
अस्र की सुहानी शाम हो 
मग़रिब का सुरमई उजाला हो 
इशा की महकती रात हो
तहज्जुद की दुआ हो 
मेरे महबूब 
तुम ही तो मेरी इबादत का मरकज़ हो...
-फ़िरदौस ख़ान  

शब्दार्थ : फ़ज्र, इशराक़, चाश्त, ज़ुहर, अस्र, मग़रिब, इशा और तहज्जुद –मुख़तलिफ़ अवक़ात की नमाज़ों के नाम हैं.      
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तुम


मेरे महबूब !
तुम हवाओं में होते हो 
तो आसमान की बुलंदियों को
छू लेते हो...
तुम ज़मीन पर होते हो
तो कुशादा तवील रास्तों से 
गुज़र जाते हो...
और 
तुम समन्दर में होते हो
तो उसकी गहराइयों में 
उतर जाते हो
जैसे दिल की गहराई में 
उतर जाते हो, उसमें बस जाते हो...
-फ़िरदौस ख़ान  
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रहमतों की बारिश

एक मुबारक तारीख़... एक सजदा... 
एक रूहानी तारीख़, जिसे हम कभी नहीं भूल सकते...
1 फ़रवरी  2021 हिजरी 18 जुमादा अल आख़िर 1442
इस मुबारक मौक़े पर अपने प्यारे आक़ा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को समर्पित हमारा एक कलाम
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में पेश कर रहे हैं-
रहमतों की बारिश...
मेरे मौला !
रहमतों की बारिश कर
हमारे आक़ा
हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर
जब तक
कायनात रौशन रहे
सूरज उगता रहे
दिन चढ़ता रहे
शाम ढलती रहे
और रात आती-जाती रहे
मेरे मौला !
सलाम नाज़िल फ़रमा
हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
और आले-नबी की रूहों पर
अज़ल से अबद तक...
-फ़िरदौस ख़ान
#रूहानी_कलाम
#तारीख़
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