ज़ियारत-गाह

मेरे महबूब !
हर वो मुल्क
हर वो शहर
हर वो जगह
मेरे लिए ज़ियारत-गाह है
जहां तुमने क़दम रखे
क्योंकि
उस ज़मीन का
हर ज़र्रा
मेरे लिए क़ाबिले-एहतराम है...
-फ़िरदौस ख़ान

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