कलमा...


मेरे मौला !
मेरे मौला !
पहले भी ज़ुबां पर
उनका नाम रहता था...
मगर
अब भी शामो-सहर ज़ुबां पर
कलमे की तरह
उनका नाम ही रहता है...
वो इश्क़े-मजाज़ी था
और
ये इश्क़े-हक़ीक़ी है…
-फ़िरदौस ख़ान 
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

4 Response to "कलमा... "

  1. Yashwant R. B. Mathur says:
    8 फ़रवरी 2015 को 10:55 am बजे

    आज 08/ फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

  2. दिगम्बर नासवा says:
    8 फ़रवरी 2015 को 3:21 pm बजे

    क्या बात ... बहुत उम्दा कलाम ...

  3. nadeem says:
    17 मार्च 2015 को 11:51 am बजे

    Waah!!! Bahut Khoob..

  4. Ahir says:
    1 अप्रैल 2015 को 12:42 am बजे

    Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us. Latest Government Jobs.

एक टिप्पणी भेजें