खाना बनाना...


दिल्ली में लड़कियों से यह बात सुनने को ख़ूब मिलती है कि उन्हें चाय बनानी तक नहीं आती... ऐसा कहने वाली लड़कियों में गांव-क़स्बों और छोटे शहरों से आने वाली वे लड़कियां भी शामिल हैं, जो दिल्ली में आकर पढ़ाई या नौकरी कर रही हैं... हमें आज तक यह बात समझ में नहीं आई कि इसमें गर्व करने वाली कौन-सी बात है कि उन लड़कियों को चाय बनानी तक नहीं आती...
गर्व की बात तो यह होनी चाहिए कि उन्हें कई तरह की चाय बनानी आती है, वे किसी एक सब्ज़ी को कई तरीक़े से पका सकती हैं... उन्हें पंजाबी छोले-भठूरे से लेकर इडली-डोसा तक बनाना आता है... वे जितनी लज़ीज़ पूड़ी-कचौरी बना सकती हैं, उतना ही ज़ायक़ेदार मुग़लई खाना भी बना सकती हैं... उन्हें कई तरह के अचार और चटनियां बनानी आती हैं...
आज के दौर में लड़कियों की बात तो छोड़िये, लड़के भी अच्छा खाना बनाना जानते हैं... अकसर पढ़ाई और नौकरी के सिलसिले में लड़कों को घर से दूर रहना पड़ता है... ऐसे में वे कब तक बाहर का खाना खाएंगे... दिल्ली में दूर-दराज़ के इलाक़ों से आने वाले ज़्यादतर लड़के ख़ुद ही खाना बनाते हैं...
वैसे, भी अपनी मां के बाद ख़ुद बनाए गए खाने का ज़ायक़ा ही सबसे अच्छा होता है... यह बात हम अपने लिए कह रहे हैं...

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