नाम...



बहुत से परिवारों में शादी के बाद लड़की का नाम बदलने का रिवाज है... शुक्र है कि हमारे ननिहाल और ददिहाल में यह रिवाज नहीं है... जब हमारी शादी हुई, तो ससुरालवालों ने हमारा नाम बदल दिया... उनके लिए हम फ़िरदौस ख़ान नहीं, शहाना थे... शहाना नाम बुरा तो नहीं है... लेकिन हमें यह मंज़ूर नहीं था... क्योंकि जिस नाम के साथ हम बड़े हुए हैं... जो हमारी पहचान बन चुका है... उससे नाता कैसे तोड़ लें... यह नाम हमारी मम्मा ने रखा था... हमारी मम्मा का तोहफ़ा, जो हमारे वजूद का हिस्सा है... शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है, लेकिन नाम में बहुत कुछ रखा भी है... ख़ासकर उस वक़्त, जब वह आपके वजूद का हिस्सा बन जाए... अगर शेक्सपियर को रॊबर्ट कहा जाए, तो कौन पहचान पाएगा कि किसके बारे में बात हो रही है... ख़ैर, पसंद अपनी-अपनी... फ़िल्मी हस्तियां अपना नाम बदलती हैं... लेकिन जब उस नाम के साथ उनकी पहचान बन जाती है, तो फिर उम्रभर वे उसी नाम के साथ रहती हैं...

मगर कई बार नाम बदलना मजबूरी भी बन जाता है... हमारे एक परिचित हैं... उनकी मां का नाम शकीला है... जिस लड़की से उनकी शादी हुई, इत्तेफ़ाक़ से उसका नाम भी शकीला है... इसलिए वह अपनी बीवी को शबनम कहकर बुलाते हैं, लेकिन काग़ज़ात में उनकी बीवी का नाम शकीला ही है...

हम मानते हैं कि अगर कोई नाम बदलना न चाहे, तो उस पर दबाव भी नहीं डालना चाहिए...

बहरहाल, हमने अपने शौहर से कहा कि आपके घर और ख़ानदान वाले भले ही हमें शहाना कहें, लेकिन दस्तावेज़ों में हमारा नाम फ़िरदौस ख़ान ही रहेगा... एक बात और अगर आपने हमें शहाना नाम से बुलाया, तो हम भी आपको किसी और नाम से बुलाएंगे... फिर शिकायत मत करना...

नतीजतन, हम फ़िरदौस ख़ान ही हैं... 
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1 Response to "नाम..."

  1. विभूति" says:
    6 नवंबर 2013 को 6:30 pm बजे

    behtreen abhivaykti....

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