शिक्षक दिवस
ज़िंदगी में प्राइमरी स्कूल और कॊलेज का दौर ही ऐसा होता है, जो सबसे ज़्यादा याद आता है... प्राइमरी स्कूल में पढ़ते वक़्त की गई शरारतें कभी नहीं भुलाई जा सकती हैं... स्कूल के बाद भरी दोपहरी में सहेलियों के साथ खेलना... मम्मी के साथ बैठकर होमवर्क करना... फिर शाम को पापा के घर आने का इंतज़ार करना और पापा के आते ही उन्हें बाहर ले जाकर चीज़ लाना... चीज़ लाने का मक़सद सिर्फ़ पापा के साथ बाहर घूमकर आना ही हुआ करता था...
आज शिक्षक दिवस है... हमारी पहली गुरु मम्मी हैं और दूसरे पापा... इसके बाद बारी आती है हमारे स्कूल और कॊलेज के गुरुजनों की... सभी गुरुजनों को हार्दिक शुभकामनाएं... ये सब आपकी दुआओं का ही फल है कि आज हम कुछ लिख पा रहे हैं...
शिक्षक दिवस पर हम अपने उन सभी उस्तादों के मम्नून-ओ-शुक्रगुज़ार रहेंगे, जिन्होंने हमें तालीम दी है... ख़ासकर रूहानी इल्म और मौसिक़ी के उस्ताद के... जवाज़, ये है कि ये दोनों ही उस्ताद ऐसे रहे हैं, जिन्होंने अपनी मर्ज़ी से, अपनी ख़ुशी से हमें तालीम दी है, बिना मेहनताने के...
आज अल सुबह हमने अपने उस्ताद को मुबारकबाद दी और आदतन उन्होंने बेशुमार दुआओं की बारिश कर दी... वाक़ई, दुआओं की बारिश में भीगना बहुत सुकून देता है...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)
0 Response to "शिक्षक दिवस"
एक टिप्पणी भेजें