क्या बात है, 'दूधिया वरक़' 'जाफ्ररानी हर्फ़' और रूह पर टांक देने की बात...... उपमाओं के हवाले से ऐसी नज्म ब्लाग पर तो कहीं नज़र नही आई फिरदौस साहिबा, आप तो गुलज़ार साहब के लिए 'खतरा' बनती जा रही हैं! शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
शायरा, लेखिका और पत्रकार. लोग लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी कहते हैं.
उर्दू, हिन्दी, इंग्लिश और पंजाबी में लेखन. दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं. अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं का सम्पादन किया. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर कार्यक्रमों का प्रसारण. ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनल के लिए एंकरिंग भी की है. देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लेखन. फ़हम अल क़ुरआन लिखा. सूफ़ीवाद पर 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' नामक एक किताब प्रकाशित. इसके अलावा डिस्कवरी चैनल सहित अन्य टेलीविज़न चैनलों के लिए स्क्रिप्ट लेखन. उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए अनेक पुरस्कारों ने सम्मानित. इसके अलावा कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी शिरकत की. कई बरसों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम ली. फ़िलहाल 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' में समूह संपादक हैं.
अपने बारे में एक शेअर पेश है- नफ़रत, जलन, अदावत दिल में नहीं है मेरे
अख़लाक़ के सांचे में अल्लाह ने ढाला है…
हमारा जन्मदिन
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कल यानी 1 जून को हमारा जन्मदिन है. अम्मी बहुत याद आती हैं. वे सबसे पहले
हमें मुबारकबाद दिया करती थीं. वे बहुत सी दुआएं देती थीं. उनकी दुआएं हमारे
लिए किस...
میرے محبوب
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بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو
خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا
گناہ مانا جات...
27 सूरह अन नम्ल
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सूरह अन नम्ल मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 93 आयतें हैं.
*अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. ता सीन. ये
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Rahul Gandhi in Berkeley, California
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*Firdaus Khan*
The Congress vice president Rahul Gandhi delivering a speech at Institute
of International Studies at UC Berkeley, California on Monday. He...
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फ़िरदौस ख़ान
इस बलॊग में ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं
22 दिसंबर 2009 को 6:14 pm बजे
चंद लफ्जों में खत के खासियत का खुलासा
22 दिसंबर 2009 को 6:33 pm बजे
bahut khoob.........kya baat hai.
22 दिसंबर 2009 को 7:47 pm बजे
चंद लफ़्ज़ों.... में खूबसूरत नज़्म....
22 दिसंबर 2009 को 10:52 pm बजे
खूबसूरत...रूह पर टंके इन खतों के हर्फ़ ही उसकी मुकद्दर की जाफ़रानी इबारत बन जाते हैं..हमेशा के लिये..
चंद पंक्तियों मे कमाल..
23 दिसंबर 2009 को 12:06 am बजे
क्या बात है,
'दूधिया वरक़'
'जाफ्ररानी हर्फ़'
और
रूह पर टांक देने की बात......
उपमाओं के हवाले से ऐसी नज्म
ब्लाग पर तो कहीं नज़र नही आई
फिरदौस साहिबा,
आप तो गुलज़ार साहब के लिए 'खतरा' बनती जा रही हैं!
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
6 मार्च 2010 को 9:13 pm बजे
ख़त...
दूधिया वरक़ों पर लिखे
ज़ाफ़रानी हर्फ़
उसने
काग़ज़ पर नहीं
मेरी रूह पर टांक दिए थे...
सुब्हानअल्लाह.......अब क्या कहें.......लफ़्ज़ ही नहीं मिल रहे हैं.......