ख़त

मेरे महबूब !
तुम्हारा ख़त मिला
ऐसा लगा
जैसे
कोई वही उतरी है...
जिसका
हर इक लफ़्ज़
हमारे लिए
कलामे-इलाही की मानिन्द है...
-फ़िरदौस ख़ान

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

0 Response to "ख़त"

एक टिप्पणी भेजें