आलमे-अरवाह

मेरे महबूब !
हम
आलमे-अरवाह के
बिछड़े हैं
दहर में नहीं तो
रोज़े-मेहशर में मिलेंगे...
-फ़िरदौस ख़ान

शब्दार्थ : आलमे-अरवाह- जन्म से पहले जहां रूहें रहती हैं
दहर- दुनिया
रोज़े-मेहशर- क़यामत का दिन
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चैन की नींद...

उन्होंने हमसे कहा, तुम बहुत चैन की नींद सोती हो...
अम्मी को जब हमने ये बात बताई, तो उन्होंने कहा, मैं ये दुआ भी करती हूं कि मेरे बच्चे चैन की नींद सोयें...
सच ! मां की दुआओं में कितना असर होता है... अल्लाह हमेशा उन्हें सलामत रखे, आमीन

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