इंतज़ार
मेरे महबूब
तुम्हारे इंतज़ार ने
उम्र के उस मोड़ पर
ला खड़ा किया है
जहां से
शुरू होने वाला
एक सफ़र
सांसों के टूटने पर
ख़त्म हो जाता है
लेकिन-
फिर यहीं से
शुरू होता है
एक दूसरा सफ़र
जो हश्र के मैदान में
जाकर ही मुकम्मल होता है...
इश्क़ के इस सफ़र में
मुझे ही तय करना है
फ़ासलों को
ज़िन्दगी में भी
और
ज़िन्दगी के बाद भी
तुम्हारे लिए...
-फ़िरदौस ख़ान
तुम्हारे इंतज़ार ने
उम्र के उस मोड़ पर
ला खड़ा किया है
जहां से
शुरू होने वाला
एक सफ़र
सांसों के टूटने पर
ख़त्म हो जाता है
लेकिन-
फिर यहीं से
शुरू होता है
एक दूसरा सफ़र
जो हश्र के मैदान में
जाकर ही मुकम्मल होता है...
इश्क़ के इस सफ़र में
मुझे ही तय करना है
फ़ासलों को
ज़िन्दगी में भी
और
ज़िन्दगी के बाद भी
तुम्हारे लिए...
-फ़िरदौस ख़ान
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