मेरे महबूब
!
तुम्हारी रफ़ाक़त के साये में
मेरी बेचैन रूह सुकून पाती है...
तुम्हारी गुफ़्तगू की ख़ुशबू से
दिलो-दिमाग़ महक उठते हैं...
तुम्हारी अक़ीदत के नूर से
मेरी ज़िन्दगी रौशन है...
तुम पर हमेशा
अल्लाह की रहमत बरसती रहे
और
अज़ल से अबद तक
मैं तुम्हारे ज़ेरे-साये में रहूं...
-फ़िरदौस ख़ान
0 Response to "तुम्हारे ज़ेरे-साये में रहूं… "
एक टिप्पणी भेजें