दीदार...
तारीख़ 8 जनवरी 2017... इस्लामी हिजरी 1437, 9 रबीउल आख़िर,
दिन इतवार... वक़्त इशराक़... जगह दिल्ली...
हमारी एक रूहानी नज़्म
दीदार...
मेरे मौला !
न तू मुझसे ग़ाफ़िल
न मैं तुझसे ग़ाफ़िल
न तू मुझसे जुदा
न मैं तुझसे जुदा
दरमियां हमारे
कोई पर्दा न रहा
मैंने
कायनात के हर ज़र्रे में
तेरा दीदार किया है...
-फ़िरदौस ख़ान
दिन इतवार... वक़्त इशराक़... जगह दिल्ली...
हमारी एक रूहानी नज़्म
दीदार...
मेरे मौला !
न तू मुझसे ग़ाफ़िल
न मैं तुझसे ग़ाफ़िल
न तू मुझसे जुदा
न मैं तुझसे जुदा
तू मुझ में है
और मैं तुझ में...दरमियां हमारे
कोई पर्दा न रहा
मैंने
कायनात के हर ज़र्रे में
तेरा दीदार किया है...
-फ़िरदौस ख़ान
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