औरत का सम्मान
पापा ने हमें शहज़ादी की तरह पाला... हमारी हर छोटी-बड़ी ख़्वाहिश पूरी की... भाई भी हमारा बहुत ख़्याल रखते हैं... हमारी बात उनके लिए हुक्म होती है...
और वो... उन्होंने हमें अहसास दिलाया कि हम उनके लिए कितने ख़ास हैं...
पापा, भाई और ’उनकी’ नज़र में औरत का दर्जा मर्द से कमतर नहीं है... इन सबका मानना है कि औरत भी मर्द की तरह ही इंसान है...
ये हमारी ख़ुशनसीबी है कि हमें अच्छे और सच्चे लोग मिले... दुनिया के उन सब मर्दों को हमारा सलाम, जो औरतों को भी अपनी ही तरह इंसान समझते हैं.
0 Response to "औरत का सम्मान"
एक टिप्पणी भेजें