रूहानी सफ़र
हमने हज़रत राबिया बसरी की राह चुन ली है... बात इश्क़े-मिजाज़ी की नहीं, इश्क़े-हक़ीक़ी की है... जो इश्क़े-इलाही में डूब गया, वही पार हो गया...
रहनुमा...
मेरे महबूब !
मैं भटक रही थी
दुनियावी सहरा में
तुम मेरा हाथ थामकर
मुझे रूहानी सफ़र पर ले गए
जहां इबादत है, रूहानियत है
अब यही दुआ है मेरी
तुम पर हमेशा
अल्लाह की रहमत बरसती रहे
और मैं ताक़यामत
तुम्हारे साये में रहूं...
आमीन, सुम्मा आमीन
-फ़िरदौस ख़ान
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