उस लड़के का मिलना...
बात बचपन की है...उस वक़्त हमारी उम्र सात साल के आसपास रही होगी...गर्मियों की छुट्टियों में पूरा परिवार उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर में गया था...हम सब बच्चे सुबह के क़रीब दस बजे आम के बाग़ में चले गए...खेल-खेल में हम बाग़ के क़रीब बने तालाब का पास पहुंच गए...पानी में उतरने का मन हुआ...तालाब कच्चा था...टांगें मिट्टी में धंस गईं...हम रोने लगे...तभी हमने देखा कि एक लड़का दौड़ता हुआ हमारे पास आया और उसने हमें पानी से बाहर निकाला...हम ज़ार-ज़ार रो रहे थे...उसने हमें चुप कराया...हमें डर लग रहा था कि घर पर डांट पड़ेगी...हालांकि कभी डांट नहीं पड़ती थी, लेकिन डर तो लगता ही था... हमारी गहरे आसमानी रंग की फ्राक कमर तक भीग गई थी...और कपड़ों पर मिट्टी भी लगी थी...उस लड़के ने अपनी हथेलियों में पानी भर-भरकर हमारी फ्राक धोई...अब फ्राक पूरी तरह साफ़ हो चुकी थी...
अब हम चहक रहे थे... हम दौड़कर अपने साथ खेल रहे बच्चों के पास गए...इस दौरान हमने कई बार पीछे मुड़कर देखा...वो लड़का वहीं तालाब के किनारे खड़ा हमें देख रहा था...
बचपन के इस वाक़िये को हम कभी नहीं भूल पाए...कहते हैं कि इंसान ज़िन्दगी में दो चीज़ें कभी नहीं भूलता...एक ख़ुशी देने वाली बात और दूसरी तकलीफ़ देने वाला हादसा...लेकिन यादों के संदूक़ में हम सिर्फ़ सुकून देने वाले लम्हों को ही सहेजकर रखते हैं...इसलिए तकलीफ़ देने वाली बातें कुछ वक़्त बात बेमानी हो जाती हैं...
कुछ वक़्त पहले हमें पता चला कि वो लड़का मुल्क की एक बहुत बड़ी हस्ती है...कई बार उससे मिलना हुआ... उसने बताया कि हमें तालाब से बाहर उसी ने निकाला था...वह अपने पापा के साथ वहां आया हुआ था...
उसने यह भी कहा कि जबसे उसने हमें गहरे आसमानी रंग की फ्राक में देखा था, तबसे उसे आसमान ज़्यादा ख़ूबसूरत लगने लगा था...
अजीब इत्तेफ़ाक़ है...हमें गहरा आसमानी रंग बहुत पसंद है...हमेशा हमारे पास गहरे आसमानी रंग के लिबास रहते हैं...बचपन में पापा गहरे आसमानी रंग की कई-कई फ्राकें दिलाकर लाते थे...स्कूल में इसी रंग की वर्दी थी...आधा दिन गहरे आसमानी रंग की वर्दी पहनने के बावजूद हम घर में भी इसी शोख़ रंग का लिबास पहनते थे... कुछ रोज़ पहले हमारे एक पाकिस्तानी दोस्त, जो हमारे रिश्तेदार भी हैं, जब जापान गए तो वहां से हमारे लिए गहरे आसमानी रंग का लिबास लेकर आए... गहरे आसमानी रंग की ज़मीन पर रंग-बिरंगे फूल...
ज़िन्दगी में बहुत-कुछ ऐसा भी होता है, जो किसी परी कथा सा लगता है... बचपन में उस लड़के का मिलना, हमारी मदद करना और फिर उम्र के इस मोड़ पर मिलना...सच कितना भला लगता है...वाक़ई ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है...
-फ़िरदौस ख़ान
11 मई 2012 को 10:00 am बजे
...वाक़ई ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है...
बेशक .. और फिर रंग तो बिखरे ही पड़े हैं
11 मई 2012 को 10:59 am बजे
वाकई ज़िंदगी की कुछ घटनाएँ ज़िंदगी को खूबसूरत बना देती हैं ... :):)
11 मई 2012 को 1:10 pm बजे
परी हो आसमानी तुम :). खूबसूरत पल बने रहें.आमीन ..