कड़ी धूप थी आसमान से शोले बरस रहे थे... उसने कहा- कितनी प्यारी खिली चांदनी है... मैंने कहा- बिलकुल क्योंकि... मुहब्बत में दिल की सुनी जाती है, ज़हन की नहीं यही मुहब्बत है, मुहब्बत की रिवायत है...
शायरा, लेखिका और पत्रकार. लोग लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी कहते हैं.
उर्दू, हिन्दी, इंग्लिश और पंजाबी में लेखन. दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं. अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं का सम्पादन किया. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर कार्यक्रमों का प्रसारण. ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनल के लिए एंकरिंग भी की है. देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लेखन. फ़हम अल क़ुरआन लिखा. सूफ़ीवाद पर 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' नामक एक किताब प्रकाशित. इसके अलावा डिस्कवरी चैनल सहित अन्य टेलीविज़न चैनलों के लिए स्क्रिप्ट लेखन. उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए अनेक पुरस्कारों ने सम्मानित. इसके अलावा कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी शिरकत की. कई बरसों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम ली. फ़िलहाल 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' में समूह संपादक हैं.
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फ़िरदौस ख़ान
इस बलॊग में ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं
5 अप्रैल 2010 को 11:30 am बजे
बहुत ही बढ़िया विचार और कविता....."
5 अप्रैल 2010 को 11:32 am बजे
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
5 अप्रैल 2010 को 11:32 am बजे
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
5 अप्रैल 2010 को 11:40 am बजे
वाह .. क्या लाजवाब बात कही ... मुहब्बत में सच में दिल की सुनी जाती है ...
5 अप्रैल 2010 को 2:45 pm बजे
बहुत ही बढ़िया शब्दों को पिरो कर बड़ी शानदार सी ग़ज़ल पेश की है आपने!!
5 अप्रैल 2010 को 7:28 pm बजे
जी हाँ यही मुहब्बत है यही मुहब्बत की रिवायत है ..
बहुत खूब बेहतरीन
5 अप्रैल 2010 को 7:29 pm बजे
bahut khoob........agar unka rahe sath
to din ko kahe raat , lage raat
5 अप्रैल 2010 को 8:11 pm बजे
सही बात, सच्ची बात!
5 अप्रैल 2010 को 11:22 pm बजे
यही मुहब्बत है, मुहब्बत की रिवायत है...
बहुत खूब.
’जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे’....
इस बात को अलग ही अंदाज़ में खूबसूरती से कहा गया है.
मुबारकबाद.
6 अप्रैल 2010 को 8:10 am बजे
कड़ी धूप थी
आसमान से
शोले बरस रहे थे...
उसने कहा-
कितनी प्यारी खिली चांदनी है...
मैंने कहा-
बिलकुल
क्योंकि...
मुहब्बत में दिल की सुनी जाती है, ज़हन की नहीं
यही मुहब्बत है, मुहब्बत की रिवायत है...
एक-एक लफ़्ज़ समर्पण के जज्बे से सराबोर...
6 अप्रैल 2010 को 3:22 pm बजे
मुहब्ब्त एहसास का दुसरा नाम है।