उमरपुरा के सिख भाइयों ने बनवाई मस्जिद
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*डॉ. फ़िरदौस ख़ान *
हमारे प्यारे हिन्दुस्तान की सौंधी मिट्टी में आज भी मुहब्बत की महक बरक़रार
है. इसलिए यहां के बाशिन्दे वक़्त-दर-वक़्त इंसानियत, प्रेम और भाई...
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7 मार्च 2010 को 10:26 pm बजे
"शब्दों का चयन खूबसूरत है........"
प्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com
7 मार्च 2010 को 10:40 pm बजे
Ek achi nazm.
8 मार्च 2010 को 12:08 am बजे
ज़िन्दगी के आंगन में
मुहब्बत की चांदनी बिखरी है...
......ख्वाहिशों के बिस्तर.........
........................बेचैन निगाहों के पर्दे .........
क्या कहें......बस बहुत खूब...हमेशा की तरह
8 मार्च 2010 को 12:03 pm बजे
माजी के जज़ीरे पर
यादों की पूर्वाई है ....
बहुत नाज़ुक, बहुत खूबसूरत ख्याल है ....
8 मार्च 2010 को 12:04 pm बजे
bahut hi sundar bhav.