सदक़ा


मेरे महबूब !
सोचती हूं
तुम्हारे सदक़े में
किसी साइल को
क्या दूं...
अगर मेरे हिस्से में जन्नत हो
तो वो उसके कांसे में डाल दूं...
और
तुम्हारी जान के सदक़े में
अपनी जान निसार कर दूं...
-फ़िरदौस ख़ान

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