दहकते पलाश का मौसम...


हर मौसम की अपनी ख़ूबसूरती हुआ करती है... इस मौसम की रौनक़ पलाश के सुर्ख़ फूल है... इस दिल फ़रेब मौसम पर एक नज़्म पेश है...
नज़्म
मेरे महबूब !
ये दहकते पलाश का मौसम है
क्यारियों में
सुर्ख़ गुलाब महक रहे हैं
बर्फ़ीले पहाड़ों के लम्स से
बहकी सर्द हवायें
मुहब्बत के गीत गाती हैं
बनफ़शी सुबहें
कोहरे की चादर लपेटे हैं
अलसाई दोपहरें
गुनगुनी धूप सी खिली हैं
और
गुलाबी शामें
तुम्हारे मुहब्बत से भीगे पैग़ाम लाती हैं
लेकिन
तुम न जाने कब आओगे...
-फ़िरदौस ख़ान

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