कहानी जनवरी की...


फ़िरदौस ख़ान
रोमन देवता 'जेनस' के नाम पर साल के पहले महीने जनवरी का नाम रखा गया. मान्यता है कि जेनस के दो चेहरे हैं. एक से वह आगे और दूसरे से पीछे देखता है. इसी तरह जनवरी के भी दो चेहरे हैं. एक से वह बीते हुए साल को देखता है और दूसरे से अगले साल को. जेनस को लैटिन में जैनअरिस कहा गया. जेनस बाद में जेनुअरी बना, फिर हिन्दी में जनवरी हो गया.
जनवरी का महीना बहुत ख़ास होता है... मौसम के हिसाब से भी और त्यौहारों के लिहाज़ से भी. इस महीने में कई त्यौहार आते हैं. मकर संक्रान्ति का पावन पर्व इसी माह में आता है. इसी महीने में यानी पौष मास में सूर्य मकर राशि में दाख़िल होता है. मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति शुरू हो जाती है.
देश के अलग-अलग प्रदेशों में इसे अपने-अपने तरीक़े से मनाया जाता है. हरियाणा-पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले यानी 13 जनवरी को लोहड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. गुजरात में पतंग उत्सव का आयोजन होता है. उत्तर प्रदेश में माघ मेला लगता है. तमिलनाडु में पोंगल और असम में माघ बिहू की धूम रहती है. ये सभी त्यौहार 13 से 24 जनवरी के बीच मनाए जाते हैं. फिर 26 जनवरी को आता है राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
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