हीरे की लौंग


ईद मिलादुन नबी और क्रिसमस साथ-साथ... ईद मिलादुन नबी हमारे लिए ज़ाती तौर पर भी बहुत ख़ास है... इस दिन उन्होंने हमें हीरे की लौंग दी थी... वो जानते हैं कि हमें लौंग बहुत पसंद है और हमारे पास बहुत-सी लौंगें रहती हैं... अगर लौंग गुम हो जाए, तो हम फ़ौरन दूसरी पहन लेते हैं... दो दिन पहले रात को उनकी दी हुई हीरे की लौंग हमसे खो गई... मन उदास हो गया... हम इसलिए उदास हुए हों कि वो लौंग हीरे की थी, क़ीमती थी, ऐसा नहीं था... सबसे बड़ी बात थी कि वो लौंग उन्होंने हमें दी थी... ख़ुदा का शुक्र है कि अगले दिन सुबह लौंग हमें मिल गई... उसे पाकर ऐसा लगा, न जाने हमने क्या पा लिया हो...
क्रिसमस तो है ही हमारा पसंदीदा त्यौहार... दोनों ही दिनों की ख़ास तैयारियां करनी हैं... क्रिसमस के दिन चर्च में बहुत से आशना मिल जाते हैं... बाज़ार में क्रिसमस की चीज़ों की रौनक़ है... आज बाज़ार भी जाना है...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)
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1 Response to " हीरे की लौंग"

  1. Satish Saxena says:
    22 दिसंबर 2015 को 2:45 pm बजे

    badhaai !!

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