चमकते ख़्वाब...


जब
ज़िन्दगी
किसी ख़मोश लम्हे की तरह
चुपके से
मेरे सिरहाने
आकर खड़ी हो जाती है
तब
मैं सोना चाहती हूं
अपनी पलकों की छांव में
किसी उजले दिन की तरह
चमकते ख़्वाबों को लिए हुए...
-फ़िरदौस ख़ान

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