खट्टी-मीठी संतरे की फ़ांके
यादों का कोई मोल नहीं होता... यादें अनमोल हुआ करती हैं... बचपन की यादें, ताउम्र अपना वजूद बनाए रखती हैं... कभी धुंधली नहीं होतीं... घर में लाख नेअमतें होने के बावजूद खट्टी-मीठी संतरे की फ़ांके दुकान से ख़ुद ख़रीदना कितना भला लगता था... आज भी बसों में ये संतरे की फ़ांकों जैसी खट्टी-मीठी गोलियां मिलती हैं... जिन्हें देखकर बचपन के नटखट दिन याद आ जाते हैं... :)
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