उमरपुरा के सिख भाइयों ने बनवाई मस्जिद
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*डॉ. फ़िरदौस ख़ान *
हमारे प्यारे हिन्दुस्तान की सौंधी मिट्टी में आज भी मुहब्बत की महक बरक़रार
है. इसलिए यहां के बाशिन्दे वक़्त-दर-वक़्त इंसानियत, प्रेम और भाई...
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4 अप्रैल 2015 को 10:16 am बजे
कविता ने मन को बाँध लिया .. क्या खूब लिखा है .. अंतिम पंक्तियों ने जादू कर दिया है :)
क्यूंकि
मेरे लिए तू ही काफ़ी है
अल्लाह तू ही तू...
4 अप्रैल 2015 को 7:24 pm बजे
बहुत खूब!