इस प्यार ने क्या कुछ बदला है...

सच!
आज पहली बार
सुबह सूरज निकला तो
कितना भला लगा
सूरज की सुनहरी किरनों ने
चूम लिया बदन मेरा
तुम थे कोसों दूर
पर यूं लगा
जैसे
यह प्यार भरा पैगाम
तुमने ही भेजा है
इस प्यार ने क्या कुछ बदला है
कि अब तो
हर शय निखरी-निखरी लगती है...
-फ़िरदौस ख़ान
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10 Response to "इस प्यार ने क्या कुछ बदला है..."

  1. M VERMA says:
    27 अप्रैल 2010 को 6:24 am बजे

    प्यार वो शै है जो सब कुछ बदल देती है
    सुन्दर रचना

  2. Apanatva says:
    27 अप्रैल 2010 को 6:28 am बजे

    andaz acchha laga .

  3. Taarkeshwar Giri says:
    27 अप्रैल 2010 को 6:40 am बजे

    Ati sunder, bahut hi achhhi kavita.

  4. Udan Tashtari says:
    27 अप्रैल 2010 को 7:20 am बजे

    बहुत सुन्दर नज़्म!! अच्छा लगा पढ़कर.

  5. P.N. Subramanian says:
    27 अप्रैल 2010 को 9:49 am बजे

    बहुत ही अच्छा लगा. आभार.

  6. Vinay says:
    27 अप्रैल 2010 को 12:19 pm बजे

    वाह जी आपके अल्फाज़ का जज़ीरा पसन्द आया
    ---
    गुलाबी कोंपलें

  7. kunwarji's says:
    27 अप्रैल 2010 को 1:17 pm बजे

    JI BAHUT BADHIYA BHAVAABHIVAYACTI!

    KUNWAR JI,

  8. शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' says:
    27 अप्रैल 2010 को 2:10 pm बजे

    सूरज की सुनहरी किरनों ने चूम लिया बदन मेरा
    तुम थे कोसों दूर..पर यूं लगा...जैसे...
    यह प्यार भरा पैग़ाम तुमने ही भेजा है...
    बेहतरीन शायरी..दिल को छू गई नज़्म.

  9. vandana gupta says:
    27 अप्रैल 2010 को 3:27 pm बजे

    waah bahut hi sundar andaz hai.

  10. Unknown says:
    27 अप्रैल 2010 को 4:38 pm बजे

    pyaar bhara paigaam n sirf paane wale ko balki bhejne wale ko bhi badal deta hai.

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