मरने वाले के नाम की जगह मेरा नाम लिखा होगा...
नज़्म
जब कभी
अख़बार में पढ़ती हूं
खुदकुशी की कोई ख़बर
तो अकसर
यह सोचने लगती हूं
क्या कभी ऐसा होगा
मरने वाले के नाम की जगह
मेरा नाम लिखा होगा
और
मौत की वजह 'नामालूम' होगी
क्या कभी ऐसा होगा...?
-फ़िरदौस ख़ान
जब कभी
अख़बार में पढ़ती हूं
खुदकुशी की कोई ख़बर
तो अकसर
यह सोचने लगती हूं
क्या कभी ऐसा होगा
मरने वाले के नाम की जगह
मेरा नाम लिखा होगा
और
मौत की वजह 'नामालूम' होगी
क्या कभी ऐसा होगा...?
-फ़िरदौस ख़ान
3 नवंबर 2008 को 1:51 pm बजे
मोहतरमा...इतनी मायूसी अच्छी नहीं...ऐसी नज़्म न लिखा करें...
3 नवंबर 2008 को 2:41 pm बजे
यूँ मायूस न हों मोहतरमा.
खुदकुशी तो हारे हुए टूटे हुए कमज़ोर इंसान करते है जबकि माशाअल्लाह आप तो ऐसे जज्बे, ऐसे अहसासों से लबरेज़ हैं कि आपके ख्याल दूसरों को जीने का हौसला, जीने का बहाना मयस्सर कराते है.
आपके रूमानी लफ्ज़ बेनूर दिलों को जीने का सलीका सिखाते है और ..... आप ?
खुदा के लिए ऐसे अल्फाजों का इस्तेमाल न करें तो बेहतर होगा.
3 नवंबर 2008 को 3:50 pm बजे
जब होगा तब होगा..खुद तो पढ़ नहीं पायेंगे फिर ऐसी बात क्या सोचना!