मुहब्बत...
जो मुहब्बत करता है, वो अपने महबूब का दर्द ही मांगेगा और उसे अपनी ख़ुशी दे देगा... यही मुहब्बत का उसूल है... मुहब्बत देना सिखाती है, लेना नहीं... लेन-देन तो कारोबार का दस्तूर हुआ करता है, मुहब्बत का नहीं...
साहिर लुधियानवी के अल्फ़ाज़ में-
तुम अपना रंजो-ओ-ग़म, अपनी परेशानी मुझे दे दो
तुम्हें उनकी क़सम, ये दुख ये हैरानी मुझे दे दो
मैं देखूं तो सही, दुनिया तुम्हें कैसे सताती है
कोई दिन के लिए अपनी निगहबानी मुझे दे दो
ये माना मैं क़ाबिल नहीं हूं इन निगाहों में
बुरा क्या है अगर इस दिल की वीरानी मुझे दे दो
वो दिल जो मैंने मांगा था मगर ग़ैरों ने पाया था
बड़ी शय है अगर उस की पशेमानी मुझे दे दो...
तस्वीर गूगल से साभार
10 अप्रैल 2015 को 2:14 pm बजे
वाह..खूबसूरत अहसास..