बहुत खूबसूरत गज़ल। एक सुझाव - मुश्किल शब्दों का अर्थ लिख दिया करें, जैसे यहां ’रेगज़ारों’ का अर्थ हमें नहीं मालूम, अगर अर्थ मालूम चल जाये तो समझने में थोड़ी आसानी हो जाती है, नहीं तो अन्दाजे ही लगाने पड़ते हैं। वाह वाह तो बनती ही है :)
शायरा, लेखिका और पत्रकार. लोग लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी कहते हैं.
उर्दू, हिन्दी, इंग्लिश और पंजाबी में लेखन. दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं. अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं का सम्पादन किया. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर कार्यक्रमों का प्रसारण. ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनल के लिए एंकरिंग भी की है. देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लेखन. फ़हम अल क़ुरआन लिखा. सूफ़ीवाद पर 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' नामक एक किताब प्रकाशित. इसके अलावा डिस्कवरी चैनल सहित अन्य टेलीविज़न चैनलों के लिए स्क्रिप्ट लेखन. उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए अनेक पुरस्कारों ने सम्मानित. इसके अलावा कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी शिरकत की. कई बरसों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम ली. फ़िलहाल 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' में समूह संपादक हैं.
अपने बारे में एक शेअर पेश है- नफ़रत, जलन, अदावत दिल में नहीं है मेरे
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हमारा जन्मदिन
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कल यानी 1 जून को हमारा जन्मदिन है. अम्मी बहुत याद आती हैं. वे सबसे पहले
हमें मुबारकबाद दिया करती थीं. वे बहुत सी दुआएं देती थीं. उनकी दुआएं हमारे
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بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو
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گناہ مانا جات...
27 सूरह अन नम्ल
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*Firdaus Khan*
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फ़िरदौस ख़ान
इस बलॊग में ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं
28 मई 2010 को 10:06 am बजे
खूबसूरत ग़ज़ल, बहुत खूब!
28 मई 2010 को 10:41 am बजे
sarfaroshi ki tamana ab hamare dil me he
28 मई 2010 को 10:46 am बजे
बहुत खूबसूरत.....
28 मई 2010 को 11:24 am बजे
Badhiyaa !
28 मई 2010 को 1:00 pm बजे
रोज़ बसते नहीं हसरतों के नगर
ख़्वाब आंखों में फिर भी सजाते रहे.
वाह.......
आपकी शायरी हमेशा लाजवाब होती है.
28 मई 2010 को 1:18 pm बजे
बहुत खूबसूरत गजल बहुत सुन्दर
http://shikhakriti.blogspot.com/2010/05/blog-post_27.html
28 मई 2010 को 1:24 pm बजे
सुन्दर गज़ल
रेजग़ारी में ---
28 मई 2010 को 6:23 pm बजे
गम़ों के अंधेरे तूफान डराते रहे,
हम मंजिल की ओर कदम बढ़ाते रहे।
28 मई 2010 को 7:44 pm बजे
छोटी बहर और गहरे मानी से सराबोर ग़ज़ल...
28 मई 2010 को 10:38 pm बजे
बहुत ख़ूब !
29 मई 2010 को 8:16 am बजे
बहुत खूबसूरत गज़ल।
एक सुझाव - मुश्किल शब्दों का अर्थ लिख दिया करें, जैसे यहां ’रेगज़ारों’ का अर्थ हमें नहीं मालूम, अगर अर्थ मालूम चल जाये तो समझने में थोड़ी आसानी हो जाती है, नहीं तो अन्दाजे ही लगाने पड़ते हैं।
वाह वाह तो बनती ही है :)
29 मई 2010 को 9:01 am बजे
अच्छे लोग अच्छा ही सोचते हैं इसलिए अच्छा लिखते भी है। शानदार रचना।
29 मई 2010 को 11:48 am बजे
bahut sundar.
29 मई 2010 को 2:53 pm बजे
कुछ लोग इसलिए अच्छा लिख पाते हैं, क्योंकि वे खुद बहुत अच्छे होते हैं।
-इस ग़ज़ल के सभी शे'अरों में बहुत सारे लोग खुद को पाएंगे...
सहज और खूबसूरत ग़ज़ल...
31 मई 2010 को 5:15 pm बजे
kya baat hai.... kisi aznabi ke saath rishta nibhane ki
31 मई 2010 को 6:07 pm बजे
weldon
1 जून 2010 को 9:25 am बजे
जन्म दिन की मुबारकबाद!
2 जून 2010 को 9:51 am बजे
shaandaar gazal