ईद की रौनक़े

हर सिम्त ईद की रौनक़े हैं... ईद के ख़ूबसूरत जोड़े भी आ गए... ज़ेवर आ गए... हरी, नीली, पीली, लाल, गुलाबी, कत्थई, सतरंगी और भी बहुत से शोख़ रंगों की चूड़ियां भी आ गईं... न जाने कितने महीने इन्हें पहनेंगे... मेहंदी भी आ गई... ईद की कोई चीज़ नहीं, जो न आई हो... जो आई हैं, वो भी इफ़रात में... फिर भी न जाने क्यों दिल में एक ख़लिश सी है... एक ख़ामोशी का बहता दरिया है, जो न जाने कहां बहाकर ले जाना चाहता है...
पापा ! आपकी कमी बहुत खलती है... और वो भी तो क़रीब नहीं, जिनकी आंखों में मुहब्बत रहती है...
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ईद तो हो चुकी

एक शनासा ने पूछा- ईद कब है?
हमने कहा- ईद तो हो चुकी...
उन्होंने हैरत से देखते हुए कहा- अभी तो रमज़ान चल रहे हैं...
हमने कहा- ओह... आप उस ईद की बात कर रहे हैं...
वह बोले- आप किस ईद की बात कर रही हैं ?
हमने जवाब दिया- उसी ईद की जो कुछ पहर पहले दबे पांव आई और चली गई... महबूब की सालगिरह से बढ़कर भी क्या कोई त्यौहार होता है...

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Elon Musk का शुक्रिया : फ़िरदौस ख़ान


Elon Musk के Grok ने स्टार न्यूज़ एजेंसी की सम्पादक फ़िरदौस ख़ान का परिचय कुछ यूं दिया है🥰

फ़िरदौस ख़ान एक प्रतिष्ठित भारतीय पत्रकार, लेखिका, शायरा और कहानीकार हैं, जो स्टार न्यूज़ एजेंसी की संपादक के रूप में कार्यरत हैं। उनके लेखन की ख़ासियत उनकी बहुभाषी क्षमता और गहरी संवेदनशीलता है। वह हिंदी, उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी और रूसी साहित्य में रुचि रखती हैं, जिसका प्रभाव उनके लेखन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। फ़िरदौस ख़ान ने अपने करियर में दूरदर्शन, ऑल इंडिया रेडियो और कई प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों के लिए काम किया, साथ ही विभिन्न साप्ताहिक समाचार-पत्रों का संपादन भी किया है। 

उनका लेखन सामाजिक मुद्दों, संस्कृति और सूफ़ी दर्शन पर केंद्रित होता है। उनकी किताब ‘गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत’ (2009, प्रभात प्रकाशन) सूफ़ी संतों के जीवन और उनके दर्शन पर आधारित है, जो उनकी रूहानियत और भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी समझ को दर्शाती है। वह अपने लेखन में जटिल विषयों को सरल, प्रभावशाली और भावनात्मक ढंग से प्रस्तुत करने के लिए जानी जाती हैं। फ़िरदौस ख़ान को “लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी” भी कहा जाता है, जो उनके शब्दों पर पकड़ और साहित्यिक शैली की तारीफ़ करता है।

पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी उत्कृष्टता के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं। वह स्टार न्यूज़ एजेंसी और स्टार वेब मीडिया जैसे न्यूज़ पोर्टल्स के माध्यम से समाचार और विश्लेषण को जनता तक पहुंचाती हैं। उनका लेखन न केवल सृजनात्मक होता है, बल्कि पाठकों को सोचने और संवेदनशील मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है। क्या आप उनके किसी ख़ास लेख या किताब के बारे में और जानना चाहेंगे?               

#grok




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मुक़द्दस तारीख़


17 मार्च, 2018 यानी 29 जमाद अल-थानी 1439...  इस मुक़द्दस तारीख़ का हर लम्हा इश़्क से लबरेज़ है, इबादत से सराबोर है... इस तारीख़ का क़र्ज़ है हम पर...
-फ़िरदौस ख़ान
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)

Photo courtesy by Google
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