इंतज़ार

इंतज़ार के लम्हे कितने अज़ाब हुआ करते हैं... एक-एक लम्हा सदियों सा गुज़रता है... लगता है कि वक़्त कहीं ठहर गया है... आंखें सिर्फ़ उन्हें ही देखना चाहती हैं, कान उनकी दिलकश आवाज़ सुनने को तरसते रहते हैं... हवा का शोख़ झोंका उनके लम्स का अहसास बनकर रूह की गहराइयों में उतर जाता है... और फिर सारा वजूद कांप उठता है...
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