हम जिएंगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
हमारा हिन्दुस्तान एक ऐसा मुअज़िज़ मुल्क है, जहां हर शख़्स को अपनी अक़ीदत के मुताबिक़ इबादत करने की इजाज़त है... लोग अपने अक़ीदे के साथ मंदिर में पूजा कर सकते हैं, मस्जिद में नमाज़ पढ़ सकते हैं, चर्च में प्रार्थना कर सकते हैं, गुरुद्वारा में मथ्था टेक सकते हैं... यानी अपने-अपने अक़ीदे के हिसाब से ज़िन्दगी बसर कर सकते हैं... वो चाहें, तो अपना मज़हब छोड़कर कोई और मज़हब अपना सकते हैं... या नास्तिक भी बने रह सकते हैं... किसी के साथ कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं... उनका आस्तिक होना या न होना, उनकी अपनी मर्ज़ी पर निर्भर करता है...
यहां मौत का डरावा देकर किसी को कोई ख़ास मज़हब मानने पर मजबूर नहीं किया जाता और न ही मज़हब छोड़ने पर उसका बेरहमी से क़त्ल किया जाता है...
हमारा हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे प्यारा मुल्क है... हमें अपने मुल्क पर नाज़ है... हमारी अक़ीदत इसी मुल्क की मिट्टी से वाबस्ता है, जो हमारा जन्मभूमि है... यहां की मिट्टी से हमारा वही रिश्ता है, जो एक बच्चे का अपनी मां के साथ होता है...
दिल दिया है जान भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
हम जिएंगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए...
26 नवंबर 2015 को 12:50 pm बजे
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (27.11.2015) को "सहिष्णुता का अर्थ"(चर्चा अंक-2173) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!
28 नवंबर 2015 को 1:22 am बजे
बहुत सही और सुलझा विचार।
29 नवंबर 2015 को 6:43 pm बजे
दिल दिया है जान भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए
हम जिएंगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए...