बेघर


बहुत ख़ुशनसीब हैं वो लोग, जिनके घर हुआ करते हैं... दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिनके घर नहीं है... और करोड़ों लोग ऐसे हैं, जो खुले आसमान के नीचे ज़िन्दगी गुज़ारने को मजबूर हैं...
इनके लिए कोई मौसम सुहावना नहीं होता... कभी गर्मी की शिद्दत से बेहाल ये लोग अपने लिए छांव तलाशते फिरते हैं, तो कभी जाड़ो में ख़ून जमा देने वाली सर्द हवाओं के क़हर से बचने के लिए दीवाल-कौलों का सहारा लेते हैं... बारिश के मौसम में ख़ुद को बचाने के लिए इन्हें एक अदद छत की तलाश रहती है...कभी किसी पेड़ के नीचे, तो कभी किसी छज्जे के नीचे ये लोग सिमट कर बैठ जाते हैं...
कल World homelessness day है... अपना घर हरेक का ख़्वाब है, हरेक का हक़ है... उनका ये ख़्वाब पूरा हो, उन्हें उनका घर मिले... बस, यही दुआ है हमारी उन सबके लिए, जिनके अपने घर नहीं हैं...
-फ़िरदौस ख़ान


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2 Response to "बेघर"

  1. Kailash Sharma says:
    9 अक्तूबर 2015 को 10:44 pm बजे

    आमीन...

  2. Dayanand Arya says:
    10 अक्तूबर 2015 को 10:28 am बजे

    आमीन....
    >> http://zindagikenasheme.blogspot.in/2013/10/anand-dard.html

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