उसने ख़त में फूल भेजा है...

नज़्म
उसने ख़त में फूल भेजा है
मुहब्बत से लबरेज़ ख़त के
एक-एक लफ़्ज़ में
उन गरम सांसों की
दिलनवाज़ खुशबू है

आज फिर मेरी रूह
मुहब्बत से मुअत्तर है
ज़िन्दगी के आंगन में
चांदनी बिखरी है...

मगर बेक़रार दिल
ये कहता है
इन ख़ुशगवार लम्हों में
काश वो ख़ुद आ जाता...
-फ़िरदौस ख़ान
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6 Response to "उसने ख़त में फूल भेजा है..."

  1. Amrendra Nath Tripathi says:
    13 नवंबर 2009 को 1:59 am बजे

    khubsurat alphajon me aapne

    apni bat rakhi hai .

    achcha laga ...

    shukriya ... ...

  2. Randhir Singh Suman says:
    13 नवंबर 2009 को 7:47 am बजे

    nice

  3. रश्मि प्रभा... says:
    13 नवंबर 2009 को 10:55 am बजे

    खूबसूरत अल्फाज़ , खूबसूरत ख्याल.......एक इंतज़ार

  4. शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' says:
    24 नवंबर 2009 को 3:56 pm बजे

    'मगर बेक़रार दिल
    ये कहता है
    इन ख़ुशगवार लम्हों में
    काश वो ख़ुद आ जाता'
    सुबहान अल्लाह.
    कितनी गहराईयों में जातीं.
    और ले जाती हैं आप...
    मेरा एक शेर समाअत फरमायें
    जिसकी फुरकत ने बढाया है मेरी मुश्किल को,
    उसकी यादों ने ही आसान बना रखा है...
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

  5. बेनामी Says:
    6 मार्च 2010 को 9:22 pm बजे

    उसने ख़त में फूल भेजा है...
    फिर मेरी रफ़ाक़त को
    एक-एक लफ़्ज़ में
    उन गरम सांसों की
    दिलनवाज़ खुशबू है

    आज फिर मेरी रूह
    मुहब्बत से मुअत्तर है
    ज़िन्दगी के आंगन में
    चांदनी बिखरी है...

    मगर बेक़रार दिल
    ये कहता है
    इन ख़ुशगवार लम्हों में
    काश वो ख़ुद आ जाता...

    कौन न मर मिटेगा.......इस अंदाज़-ए-बयां पर आपके.......

  6. Unknown says:
    12 अक्तूबर 2015 को 12:08 pm बजे

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