ज़िन्दगी


हमने ज़िन्दगी में जो चाहा वह नहीं मिला, लेकिन उससे कहीं ज़्यादा मिला. ज़मीन चाही, तो आसमान मिला... इतना मिला कि अब कुछ और चाहने की 'चाह' ही नहीं रही.

* ज़िन्दगी में ऐसा भी मुक़ाम आया करता है, जब इंसान जद्दो-जहद करके थक जाता है. उसकी ख़्वाहिशें दम तोड़ देती हैं. उम्मीद का दिया बुझ जाता है. फिर उसे ज़िन्दगी में कुछ भी अच्छा होने की कोई आस नहीं रहती.

* इंसान को संघर्ष अकेले करना पड़ता है. नाकामी का दर्द भी अकेले ही सहना पड़ता है. लेकिन जब कामयाबी मिल जाती है, तो उसे बांटने के लिए सब आ जाते हैं. यही दुनिया का दस्तूर है.


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ऑल इंडिया रेडियो


ऑल इंडिया रेडियो से हमारा दिल का रिश्ता है. रेडियो सुनते हुए ही बड़े हुए. बाद में रेडियो से जुड़ना हुआ. 
ऑल इंडिया रेडियो पर हमारा पहला कार्यक्रम 21 दिसम्बर 1996 को प्रसारित हुआ था. इसकी रिकॉर्डिंग 15 दिसम्बर को हुई थी. कार्यक्रम का नाम था उर्दू कविता पाठ. इसमें हमने अपनी ग़ज़लें पेश की थीं. उस दिन घर में सब कितने ख़ुश थे. पापा की ख़ुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था. रेडियो से हमारी न जाने कितनी ख़ूबसूरत यादें जुड़ी हुई हैं. 
आज भी रेडियो से उतना ही लगाव है. 
रेडियो के सभी चाहने वालों को आकाशवाणी प्रसारण दिवस की मुबारकबाद 🌺
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)

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