ये चांद की बातें, वो रफ़ाक़त की कहानी
तस्वीर हकीक़त की छुपाने के लिए है
महके हुए फूलों में मुहब्बत है किसी की
ये बात महज़ उनको बताने के लिए है
चाहत के उजालों में रहे हम भी अकेले
बस साथ निभाना तो निभाने के लिए है
माज़ी के जज़ीरे का मुक़द्दर है अंधेरा
गुज़रा हुआ लम्हा तो रुलाने के लिए है
ये चांद की बातें, वो रफ़ाक़त की कहानी
आंगन में सितारों को बुलाने के लिए है
चाहत, ये मरासिम, ये रफ़ाक़त, ये इनायत
इक दिल में किसी को ये बसाने के लिए हैं
'फ़िरदौस' शनासा हैं बहारों की रुतें भी
मौसम ये ख़िज़ां का तो ज़माने के लिए है
-फ़िरदौस ख़ान
7 अगस्त 2008 को 12:06 pm बजे
behatarin gazal .........
7 अगस्त 2008 को 12:42 pm बजे
महके हुए फूलों में मुहब्बत है किसी की
ये बात महज़ उनको बताने के लिए है
माज़ी के जज़ीरे का मुक़द्दर है अंधेरा
गुज़रा हुआ लम्हा तो रुलाने के लिए है
बेहद गहरे गहरे शेर, बेहद खूबसूरत गज़ल..
***राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com
www.kuhukakona.blogspot.com
20 मार्च 2010 को 7:05 am बजे
बढ़िया गज़ल!
20 मार्च 2010 को 7:08 am बजे
nice
20 मार्च 2010 को 8:30 am बजे
बहुत सुन्दर गज़ल
20 मार्च 2010 को 12:45 pm बजे
खूबसूरत गजल