ईद-अल-ग़दीर
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आज ईद-अल-ग़दीर है. ईद-अल-ग़दीर 18 जिल'हिज्ज को मनाई जाती है. इस दिन अल्लाह
के आख़िरी रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ग़दीर-ए-ख़ुम के मैदान
में ...
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22 दिसंबर 2009 को 6:14 pm बजे
चंद लफ्जों में खत के खासियत का खुलासा
22 दिसंबर 2009 को 6:33 pm बजे
bahut khoob.........kya baat hai.
22 दिसंबर 2009 को 7:47 pm बजे
चंद लफ़्ज़ों.... में खूबसूरत नज़्म....
22 दिसंबर 2009 को 10:52 pm बजे
खूबसूरत...रूह पर टंके इन खतों के हर्फ़ ही उसकी मुकद्दर की जाफ़रानी इबारत बन जाते हैं..हमेशा के लिये..
चंद पंक्तियों मे कमाल..
23 दिसंबर 2009 को 12:06 am बजे
क्या बात है,
'दूधिया वरक़'
'जाफ्ररानी हर्फ़'
और
रूह पर टांक देने की बात......
उपमाओं के हवाले से ऐसी नज्म
ब्लाग पर तो कहीं नज़र नही आई
फिरदौस साहिबा,
आप तो गुलज़ार साहब के लिए 'खतरा' बनती जा रही हैं!
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
6 मार्च 2010 को 9:13 pm बजे
ख़त...
दूधिया वरक़ों पर लिखे
ज़ाफ़रानी हर्फ़
उसने
काग़ज़ पर नहीं
मेरी रूह पर टांक दिए थे...
सुब्हानअल्लाह.......अब क्या कहें.......लफ़्ज़ ही नहीं मिल रहे हैं.......