एक मुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष सुर्ख़ियों में है, क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों रुद्राक्ष की माला पहन रहे हैं... उनकी दादी जान इंदिरा गांधी भी रुद्राक्ष की माला पहनती हैं... रुद्राक्ष से वाबस्ता एक वाक़िया याद आ गया...
ये उन दिनों की बात है, जब हम स्कूल में पढ़ते थे... हमें एक बुज़ुर्ग ने एक मुखी रुद्राक्ष दिया था... कहते हैं कि एक मुखी रुद्राक्ष क़िस्मत वालों को ही मिला करता है... हम रुद्राक्ष को बहुत संभाल कर रखते थे... बारहवीं करने के बाद हमने एक अख़बार में पार्ट टाइम जॊब शुरू की... कॊलेज की पढ़ाई भी कर रहे थे... उन दिनों हमने रुद्राक्ष अपने पर्स में रख लिया था... एक रोज़ दफ़्तर में रुद्राक्ष पर गुफ़्तगू शुरू हुई और बात एक मुखी रुद्राक्ष तक पहुंच गई... हमने बताया कि हमारे पास एक मुखी रुद्राक्ष है... हमने रुद्राक्ष दिखाया... बाद में हमने उसे पर्स में रख लिया... घर आने के बाद पर्स देखा, तो रुद्राक्ष ग़ायब था... हमने किसी से ज़िक्र नहीं किया... कुछ रोज़ बाद उसी दफ़्तर के एक बंदे ने अपने एक परिचित से कहा कि उसके पास एक मुखी रुद्राक्ष है... उसने अपने परिचित को रुद्राक्ष दिखाया... हमने भी रुद्राक्ष देखा, ये वही रुद्राक्ष था... हमने अपना रुद्राक्ष पहचान लिया... उसमें तांबे का एक तार पिरा हुआ था, गले में पहने के लिए... लेकिन हमने कुछ नहीं कहा... रुद्राक्ष के लिए उस शख़्स को शर्मिन्दा नहीं करना चाहते थे, क्योंकि वो हमारे पापा का परिचित था... लेकिन आज भी वो वाक़िया याद आता है, तो बुरा लगता है... काश ! हमने वो रुद्राक्ष उस शख़्स को दिखाया नहीं होता... तो शायद आज वो हमारे पास होता...
पता नहीं, कभी हमें एक मुखी रुद्राक्ष मिलेगा भी या नहीं... आज हमारे पास रुद्राक्ष की माला है... कभी-कभार हम उसे पहनते भी हैं, लेकिन एक मुखी रुद्राक्ष को पाने की चाह आज भी बनी हुई है...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)
ये उन दिनों की बात है, जब हम स्कूल में पढ़ते थे... हमें एक बुज़ुर्ग ने एक मुखी रुद्राक्ष दिया था... कहते हैं कि एक मुखी रुद्राक्ष क़िस्मत वालों को ही मिला करता है... हम रुद्राक्ष को बहुत संभाल कर रखते थे... बारहवीं करने के बाद हमने एक अख़बार में पार्ट टाइम जॊब शुरू की... कॊलेज की पढ़ाई भी कर रहे थे... उन दिनों हमने रुद्राक्ष अपने पर्स में रख लिया था... एक रोज़ दफ़्तर में रुद्राक्ष पर गुफ़्तगू शुरू हुई और बात एक मुखी रुद्राक्ष तक पहुंच गई... हमने बताया कि हमारे पास एक मुखी रुद्राक्ष है... हमने रुद्राक्ष दिखाया... बाद में हमने उसे पर्स में रख लिया... घर आने के बाद पर्स देखा, तो रुद्राक्ष ग़ायब था... हमने किसी से ज़िक्र नहीं किया... कुछ रोज़ बाद उसी दफ़्तर के एक बंदे ने अपने एक परिचित से कहा कि उसके पास एक मुखी रुद्राक्ष है... उसने अपने परिचित को रुद्राक्ष दिखाया... हमने भी रुद्राक्ष देखा, ये वही रुद्राक्ष था... हमने अपना रुद्राक्ष पहचान लिया... उसमें तांबे का एक तार पिरा हुआ था, गले में पहने के लिए... लेकिन हमने कुछ नहीं कहा... रुद्राक्ष के लिए उस शख़्स को शर्मिन्दा नहीं करना चाहते थे, क्योंकि वो हमारे पापा का परिचित था... लेकिन आज भी वो वाक़िया याद आता है, तो बुरा लगता है... काश ! हमने वो रुद्राक्ष उस शख़्स को दिखाया नहीं होता... तो शायद आज वो हमारे पास होता...
पता नहीं, कभी हमें एक मुखी रुद्राक्ष मिलेगा भी या नहीं... आज हमारे पास रुद्राक्ष की माला है... कभी-कभार हम उसे पहनते भी हैं, लेकिन एक मुखी रुद्राक्ष को पाने की चाह आज भी बनी हुई है...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)
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