ईद की रौनक़े

हर सिम्त ईद की रौनक़े हैं... ईद के ख़ूबसूरत जोड़े भी आ गए... ज़ेवर आ गए... हरी, नीली, पीली, लाल, गुलाबी, कत्थई, सतरंगी और भी बहुत से शोख़ रंगों की चूड़ियां भी आ गईं... न जाने कितने महीने इन्हें पहनेंगे... मेहंदी भी आ गई... ईद की कोई चीज़ नहीं, जो न आई हो... जो आई हैं, वो भी इफ़रात में... फिर भी न जाने क्यों दिल में एक ख़लिश सी है... एक ख़ामोशी का बहता दरिया है, जो न जाने कहां बहाकर ले जाना चाहता है...
पापा ! आपकी कमी बहुत खलती है... और वो भी तो क़रीब नहीं, जिनकी आंखों में मुहब्बत रहती है...
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

0 Response to "ईद की रौनक़े "

एक टिप्पणी भेजें