राजीव गांधी जी से वाबस्ता यादें


फ़िरदौस ख़ान
कुछ लोगों से ऐसा रिश्ता बन जाता है, जिसे लफ़्ज़ों में बयान नहीं किया जा सकता... राजीव गांधी जी से भी कुछ ऐसा ही रिश्ता था... हमारी अम्मी जान की फूफी जान को राजीव गांधी जी बहुत अच्छे लगते थे... टीवी पर राजीव गांधी जी को देखकर वो बहुत ख़ुश होती थीं... वो ख़बरों का बेसब्री से इंतज़ार करती थीं कि कब ख़बरें शुरू हों और उन्हें राजीव गांधी जी नज़र आएं...
पापा को भी राजीव गांधी जी बहुत पसंद थे... राजीव गांधी जी हमारी अम्मी के भी प्रिय नेता रहे हैं...
राजीव जी की बरसी पर बचपन का वो वाक़िया भी याद आ जाता है, जब राजीव गांधी जी की मौत की ख़बर सुनी थी... बात 25 साल पहले की है... आज ही के दिन यानी 21 मई को दस-बारह साल का एक तमिल लड़का भागा-भागा गया और उसने अम्मी जान से कहा- राजीव गांधी की मौत हो गई... अम्मी ने उसे बहुत डांटा और कहा कि ऐसा नहीं कहते... उस वक़्त अम्मी बहुत ग़ुस्से में थीं... लेकिन जब रेडियो और टीवी पर ये ख़बर सुनी और देखी, तो हमारे घर में उदासी छा गई...
आज भी जब हम उस वाक़िये को याद करते हैं, तो रूह कांप उठती है... सोचते हैं कि जब हमें इतनी तकलीफ़ होती है, तो तब सोनिया गांधी जी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर क्या गुज़री होगी और अब क्या गुज़रती होगी...
बच्चों के लिए उसके पापा का जाना बहुत तकलीफ़देह होता है... हमें भी आज अपने पापा की बहुत याद आती है... और उन्हें याद करके आंखें नम हो जाती हैं...
कुछ लोग ज़मीन पर राज करते हैं और कु्छ लोग दिलों पर. मरहूम राजीव गांधी एक ऐसी शख़्सियत थे, जिन्होंने ज़मीन पर ही नहीं, बल्कि दिलों पर भी हुकूमत की. वह भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन हमारे दिलों में आज भी ज़िंदा हैं और हमेशा ज़िन्दा रहेंगे...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)
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