अजन्मे बच्चे को समर्पित एक नज़्म...
मेरे लाल !
मेरे ख़्वाबों की ताबीरें
तेरे वजूद से ही वाबस्ता थीं
तेरे चेहरे में
उसका अक्स बसा था
जिसके क़दमों में
मैं अक़ीदत के फूल चढ़ाती हूं...
मेरी जान !
आज तू मेरे साथ नहीं
लेकिन
मेरे अहसास में तू अब भी ज़िन्दा है
मेरे तसव्वुर में
तेरा चेहरा मुस्कराता है
पहले
तेरे चेहरे में
उसे ढूंढती थी
अब
उसके चेहरे में
तुझे तलाशती हूं...
मेरे लाल !
तू जहां भी हो, ख़ुश हो...
यही दुआ है मेरी
तेरे लिए...
-फ़िरदौस ख़ान
तस्वीर गूगल से साभार
17 अगस्त 2015 को 1:17 am बजे
ये कश मकश सिर्फ इक माँ ही जान सकती है
ये काश मकश सिर्फ इक माँ ही जान सकती है । बहुत मार्मिक भाव ।